कुछ चुभते दुख अपने वो सबसे छुपाती है, ऐसे भी थोड़े ज़ख्म हैं, जो वो नहीं बताती है कुछ चुभते दुख अपने वो सबसे छुपाती है, ऐसे भी थोड़े ज़ख्म हैं, जो वो नहीं बताती ...
छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी। छलक जाते कभी कभार , बन कर पानी।
गिरे शोख़ शाखों से पत्ते जहाँ पर, कोई पैर उनपे जमाता ना हो, ना आँखें ही नम हों ना कोई कमी हो, कोई भी ... गिरे शोख़ शाखों से पत्ते जहाँ पर, कोई पैर उनपे जमाता ना हो, ना आँखें ही नम हों ना...
उदास पड़ी दुनिया के काले चेहरे को अपनी ख़ुशियों से चमका रही थी, उदास पड़ी दुनिया के काले चेहरे को अपनी ख़ुशियों से चमका रही थी,
कैसे भटक नहीं जाते कुछ ज़माने का डर दिखता है। कैसे भटक नहीं जाते कुछ ज़माने का डर दिखता है।
कोई अच्छा ढूँढ कर लाओ। कोई अच्छा ढूँढ कर लाओ।